“शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं” नेल्सन मंडेला के इन्हीं शब्दों के साथ यहाँ कहा जा सकता है कि स्कूग्लिंक द्वारा किये जा रहे कार्य शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान प्रस्तुत कर रहा है। कोई भी संस्थान छात्र-छात्राओं को शिक्षा ग्रहण करवाता है एवं उनके जीवन को “सार्थक” बनाने का प्रयास करता है। उनके ज्ञान के शक्ति परीक्षण हेतु भिन्न-भिन्न प्रारूपों में जाँच परीक्षायें आयोजित करवाता है। स्कूग्लिंक द्वारा आयोजित करायी जाने वाली सार्थक जाँच परीक्षा भी इसी का एक सुस्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रतियोगिता शब्द का अर्थ ही होता है, छात्रों की क्षमता की जाँच करना। अपनी
अध्ययन अवधि के क्रम में, अपने लक्ष्य प्राप्ति तक पहुँचने के लिए विद्यार्थियों को प्रतियोगी बनना पड़ता है। जब वे प्रतियोगिता में शामिल होते हैं, तब उनकी बुद्धिमता, विवेक, अध्ययन का सत्य परीक्षण हो पाता है। इस जाँच परीक्षा के द्वारा ही सभी विद्यार्थी हज़ारों-लाखों के बीच स्वयं को प्रस्तुत करने का अथक प्रयास करते हैं। मूल रूप से विद्यार्थियों के अध्ययन क्रिया में पुस्तकों का पढ़ना, तर्कपूर्ण विषयों की जाँच करना, समाचार पत्रों के माध्यम से सामाजिक घटनाओं से अवगत रहना एवं अन्य ज्ञानपूर्ण गतिविधियों में शामिल होना देखा गया है। वैसे तो परीक्षार्थी विभिन्न परीक्षाओं में सफल हो जाते हैं, परंतु वास्तविक रूप से उनकी सफलता तब सुनिश्चित हो पाती है जब वह अपने धैर्य, साहस, आत्मबल और ज्ञान से सभी स्थितियों को नियंत्रित रखते हुए अपने लक्ष्य बिन्दु तक पहुँच पाते हैं। ऊँचे लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत, साहस, धैर्य एवं आत्मबल की आवश्यकता यहाँ देखी जा सकती है।
इन्हीं उपरोक्त कड़ियों से जुड़ी कुछ छात्र-छात्रों की जानकारी यहाँ इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उन्होंने इस कोरोना महामारी जैसे संकटकाल में भी स्वंय को शिक्षा से जोड़े रखा एवं इसका प्रमाण इस रूप में दिया कि स्कूग्लिंक द्वारा आयोजित करायी जाने वाली पहली राउंड की “सार्थक” जाँच परीक्षा में स्वयं को अव्वल रूप से प्रस्तुत कर न सिर्फ स्वयं का अपितु अपने माता-पिता, परिवार एवं गाँव, शहर, जिले एवं राज्य का भी नाम रौशन किया। इस सूची में कुछ नाम इस प्रकार हैं।
- संजना अहिरवार, केन्द्रीय विद्यालय, कटनी, मध्य प्रदेश की छात्रा है। रेलवे कर्मचारी पिता की पुत्री ने इस परीक्षा में 60/60 पूर्णांक के साथ 100% अंक हासिल किया, जिसमें अंग्रेजी व्याकरण 20/20, विज्ञान 20/20, सामाजिक विज्ञान 20/20 लाकर एक किर्तिमान स्थापित किया है एवं वह बधाई के पात्र हैं।
- सुरबाला रानी, उत्क्रमिक मध्य विद्यालय, मधुरा जयति, कटिहार, बिहार से निजी कार्यालय में सहयोगी के रूप में कार्यरत पिता की पुत्री है। दो भाईयों एवं तीन बहनों के साधारण परिवार के ग्रामीण परिवेश से संबंध रखने वाली सुरबाला ने 57/60 अर्थात 95% अंकों के साथ विज्ञान में 17/20, गणित में 20/20, सामाजिक विज्ञान में 20/20 अंक प्राप्त कर अपना अहम स्थान सुनिश्चित किया है। सुरबाला के इस कठिन परिश्रम हेतु पूरे स्कूग्लिंक परिवार की ओर से ढेरो शुभकामनाएँ।
- अनिश कुमार, अशोक उच्च विद्यालय, दाउदनगर, औरंगाबाद बिहार से, एक मजदूरी करने वाले पिता के पुत्र हैं जिन्होंने इस सार्थक परीक्षा में 55/60 अर्थात 91.67% , विज्ञान 17/60, गणित 18/20, हिन्दी व्याकरण 20/20 अंकों को प्राप्त कर अपने सपने एवं लक्ष्यों को पाने हेतु अपनी उड़ान की एक पहचान प्रस्तुत कर दी है। उनकी इस उपलब्धि पर स्कूग्लिंक की ओर से उन्हें अभिवादन प्रस्तुत की जाती है।
उपरोक्त तीनों विद्यार्थियों के अतिरिक्त उन सभी विद्यार्थियों के प्रयास की जितनी भी सराहना की जाए कम होगी। इन सभी ने इस महामारी के संकटकाल में भी अपना धैर्य नहीं खोया एवं शिक्षा का संतुलन बनाये रखा। एक ओर जहाँ सारा विश्व इस संकट की घड़ी में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपना धैर्य खो रहा था परंतु एक छात्र के रूप में स्वयं को संभाले रखना भी काफी प्रशांसनीय है। जब विद्यालय एवं शिक्षा के सभी साधन अपनी सेवा देना रोक चुके थे, उस समय इन छात्रों हेतु स्कूग्लिंक द्वारा प्रस्तुत सभी शिक्षण सामग्रियों की उपलब्धी को नकारा नहीं जा सकता है, जिन्होंने अपनी एक अमीट छाप छोड़ी है। भविष्य में भी इस शिक्षा एवं शिक्षण के क्षेत्र में स्कूग्लिंक द्वारा यह प्रयास जारी रहेगा कि सभी विद्यार्थियों तक शिक्षा की पहुँच सुगम एवं सुलभ हो जिससे सभी वर्ग के विद्यार्थी भरपूर लाभान्वित हो सके।
समर्थवान अभिभावक अपनी नौकरी, पैसा, व्यापार इत्यादि के द्वारा अपने बच्चों के उचित शिक्षा की व्यवस्था करा पाते हैं, जहाँ थोड़ी परिश्रम से छात्र-छात्राऐं उचित शिक्षा पाकर अपने जीवन को सफल बना पाते है। परंतु कुछ वैसे अभिभावक जो असमर्थता, लाचारी, महँगाई इत्यादि अनेकानेक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं एवं अपने परिश्रम से घर के पोषण के अलावा अपनी कर्मठता को दर्शाते हुए बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं।
स्कूग्लिंक द्वारा चलाये जा रहे कई शिक्षण कार्यक्रमों द्वारा यह प्रयास किया जाता रहा है कि शिक्षा का यह प्रज्वलित दीप देश के कोने-कोने में अपना प्रकाश फैलाये। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण सामग्री की पहुँच को सुलभ कराना भी स्कूग्लिंक संस्थान के मूल उद्देश्यों में से एक है। स्कूग्लिंक परिवार के अथक प्रयास से शिक्षण सामग्रियों को डिजिटल रूप में उन स्थानों पर भी पहुँचाया जाना जारी है जहाँ कई सुविधाओं की कमी को देखा गया है।
जुलाई 2021 में आयोजित “सार्थक” जाँच के प्रथम राउंड में जिन छात्रों ने अव्वल स्थान हासिल किया उन्हें बधाईयाँ, एवं दूसरे राउंड हेतु सभी प्रतियोगियों को शुभकामनाओं के साथ यहाँ यह बताना आवश्यक प्रतीत होता है कि सभी छात्र पाठ्यचर्या ऐप के द्वारा अपनी पढ़ाई जारी रखे। वहाँ उपलब्ध पाठ्यक्रम, अध्यायों एवं उसके सभी बिन्दुओं का अध्ययन गहनतापूर्वक करें। इस बात का ख्याल रखे कि उन बिन्दुओं एवं अध्यायों को विडियों एवं लाइव क्लास के माध्यम से बड़ी सावधानी से समझे जिसको परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अगर कोई सवाल भी उठे तो उस पर लाइव क्लास के दौरान शिक्षकों से स्पष्टीकरण की माँग करें। यहाँ सभी सवालों के जवाब को हल कराया जाता है, ताकि विद्यार्थियों के मन में किसी भी प्रकार की अध्ययन विषयक शंका न रह जाये।
अंत में यही कहा जा सकता है कि पढ़ाई को शुरू करने के पहले पाठ्यक्रम (Syllabus) की जाँच गहनतापूर्वक करें। तदुपरांत सभी कार्यों को खंडों में बाँट लें, जो आपके द्वारा पढ़ा जाना हो। इसके बाद पढ़ाई के प्रत्येक सत्र के उपरांत यह सुनिश्चित करें कि अब आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए। जो आपके पढ़ाई को और सुगम बना सके। पढ़ाई के सभी सत्र के पहले और बाद में स्वयं को समझायें कि यह सत्र काफी लाभदायक होने वाला है एवं लाभदायक रहा। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह कि “कड़ी मेहनत करे” परंतु “चतुराई के साथ”। यहाँ अंत में यही कहा जा सकता है। कि इतनी कड़ी मेहनत करें कि जीवन सफल हो जाये क्योंकि अरस्तु (Aristotle) ने कहा था कि “शिक्षा की जड़ कड़वी है, पर उसके फल मीठे हैं।”